हाल के दिनों में बांग्लादेश के ढाका से लेकर भारत के कोलकाता तक भूकंप के भयानक झटके महसूस किए गए हैं। इसी के मद्देनजर, एक अंतरराष्ट्रीय भूकंप अनुसंधान टीम ने बांग्लादेश में एक नई एक्टिव अंडरग्राउंड फॉल्ट लाइन का पता लगाया है। यह खोज इस पूरे क्षेत्र में भूकंप के जोखिम को बढ़ाती है।
फॉल्ट लाइन की विशेषताएँ
नई खोजी गई यह फॉल्ट लाइन लगभग 400 किलोमीटर लंबी है और यह:
चूँकि यह एक एक्टिव (Seismically Active) फॉल्ट लाइन है, इसका अर्थ है कि इसमें गति हो सकती है और यह क्षेत्र में भूकंप पैदा करने की क्षमता रखती है। अध्ययनों से पता चला है कि यह फॉल्ट लाइन 6 तीव्रता तक के भूकंप पैदा करने में सक्षम है।
🇧🇩 बांग्लादेश में मौजूदा फॉल्ट लाइनें
भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, बांग्लादेश एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है और इसमें पहले से ही कई ज्ञात फॉल्ट लाइनें मौजूद हैं:
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मुख्य फॉल्ट लाइनें:
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Dawki fault line
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Indo-Burma megathrust
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अन्य फॉल्ट लाइनें:
यह नई फॉल्ट लाइन इन ज्ञात भूकंपीय संरचनाओं की सूची में एक और महत्वपूर्ण नाम जोड़ती है।
फॉल्ट लाइन की पहचान और जोखिम
हाल ही में खोजी गई इस फॉल्ट लाइन की पहचान एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के दौरान हुई, जिसका नेतृत्व बांग्लादेश जियोलॉजिकल सर्वे के उप निदेशक अख्तरुल अहसान ने किया। इस अध्ययन में अमेरिका, फ्रांस, तुर्की और बांग्लादेश के कई शोधकर्ता शामिल थे।
अख्तरुल अहसान ने बताया कि इस फॉल्ट लाइन को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है:
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पहला हिस्सा: यहाँ कम तीव्रता वाले भूकंप का जोखिम है।
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दूसरा हिस्सा: यहाँ हाई तीव्रता वाले भूकंप का जोखिम है।
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तीसरा हिस्सा: यहाँ कोई भूकंप का जोखिम नहीं है।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि कौन सा हिस्सा विशेष रूप से उच्च जोखिम वाला है और कौन सा कम जोखिम वाला है। इस जानकारी से क्षेत्रीय प्रशासन को तैयारी करने में मदद मिल सकती है फॉल्ट लाइन का भूवैज्ञानिक इतिहास
नई रिसर्च के अनुसार, इस फॉल्ट लाइन का भूवैज्ञानिक इतिहास काफी पुराना है:
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यह फॉल्ट लाइन लगभग 5.6 करोड़ साल पहले बनी थी।
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यह बनने के बाद 23 मिलियन साल तक निष्क्रिय रही।
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लगभग 5.6 मिलियन साल पहले, मेघालय की पहाड़ियों के उठने के कारण यह फॉल्ट लाइन फिर से एक्टिव हो गई।
यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से भी बड़े भूकंपों का गवाह रहा है। भूकंप वैज्ञानिक हुमायुन अख्तर की 2010 की रिसर्च बताती है कि 1548 से 2009 के बीच म्यांमार, असम, शिलांग और बांग्लादेश में 33 शक्तिशाली भूकंप आए थे। इनमें सबसे बड़ा भूकंप 12 जून 1897 को आया था, जिसकी तीव्रता 8.7 थी। इस विनाशकारी भूकंप ने लगभग 3.9 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को तबाह कर दिया था।